गौरा शिवजी की दुल्हनिया आयी भरने पनिया

गौरा शिवजी की दुल्हनिया
आयी भरने पनिया - २

रूप देख के सागर बोला कौन पिता महतारी
कौन कहाँ के रहने वाले किनकी हो घरवाली
किनको लेने आयी पनिया हो किनकी तुम रनिया
आयी भरने पनिया - २

राजा हिमांचल पिता हमारे मैनावती महतारी
कैलाश के रहने वाले शम्भु की घरवाली
शिव को लेने आयी पनिया हैं उनकी हम रनिया
आयी भरने पनिया - २

चौदह रत्न रखे हैं घर में बैठे मौज उड़ावे
वो तो पिता गांजा भंगिया
आयी भरने पनिया - २

क्रोधित हो के गौरा रानी शिवजी के ढिग आयीं
तुम्हरे होते हुए नाथ सागर हँसी उड़ाई
मथ दो समुन्दर की मथनिया
आयी भरने पनिया - २

कहे समुन्दर छोड़ दो हमको अब न हंसी उड़ाऊ 
शिव ने मथन किया सागर का चौदह रत्न निकाले 
खारा कर डाला पनिया
आयी भरने पनिया  - २ 

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