द्रोपदी सभा में बारम्बार पुकारे


द्रोपदी सभा में बारम्बार पुकारे
आओ नाथ हमारे तुम्हे टेर रही।

द्रोपदी पड़ी है दुशासन के पावड़े
आओ नाथ हमारे तुम्हे टेर रही.....

बैठे पाँचो पति मेरे सामने
लाज जाती है इन्हीं सबके सामने

द्रोपदी की आँखों से बहत पनारे
आओ नाथ हमारे तुम्हे टेर रही.....

दुष्ट खींचत है चीर बड़ी जोर से
श्याम निकले हैं चुनरिया के छोर से

द्रोपदी की लाज नाथ हाँथ तुम्हारे
आओ नाथ हमारे तुम्हे टेर रही.....

Comments

Popular posts from this blog

सब देवों ने फूल बरसाये, महाराज गजानन आये

हे सिंहवाहिनी जगदम्बे

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है

पीले सिंहों पे सवार मइया ओढ़े चुनरी

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली