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Showing posts with the label Krishna Bhajan

तारा है सारा जमाना, श्याम हमको भी तारो

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तारा है सारा जमाना  श्याम हमको भी तारो  तुमने प्रभु जी कुब्जा को तारा  चन्दन का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो .....  तुमने प्रभु जी मीरा को तारा  वीणा का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो .....  तुमने प्रभु जी गोपियों को तारा  वंशी का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो .....  तुमने प्रभु जी अर्जुन को तारा  गीता का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो .....  तुमने प्रभु जी भक्तों को तारा  भक्ति का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो ..... 

हे कन्हैया बेवफ़ा तूने कदर जानी नहीं

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हे कन्हैया बेवफ़ा तूने कदर जानी नहीं मैं तेरी दीवानी जनम से आज भी तेरी दीवानी हूँ .... एक तो मेरे दिल में आये श्याम से जाकर मिलूँ बिन पैर बिन पंख के मुझसे उड़ा जाता नहीं मैं तेरी दीवानी जनम से आज भी तेरी दीवानी हूँ .... एक तो मेरे दिल में आये श्याम को खत ही लिखूं बिन कलम, स्याही, दवायत मुझसे लिखा जाता नहीं मैं तेरी दीवानी जनम से आज भी तेरी दीवानी हूँ .... एक तो मेरे दिल में आये श्याम से जाकर लड़ूँ बिन खता बिन बात के मुझसे लड़ा जाता नहीं मैं तेरी दीवानी जनम से आज भी तेरी दीवानी हूँ ....

जन्मे हैं आज मथुरा जल का आधार बनके

जन्मे हैं आज मथुरा जल का आधार बनके गोकुल को जा रहे हैं यशोदा का प्यार बनके..... वशुदेव देवकी पर विपदा घड़ी थी हाथों में हथकड़ी थी, पग बेड़िया पड़ी थी काली घटा से बरसे, रिम-झिम फुहार बनके गोकुल को जा रहे हैं यशोदा का प्यार बनके.....  पल में प्रलय सी करके, शिशु का स्वरुप धरके माता-पिता को अपने बंधन से मुक्त करके कंश के लिए तुम कोठित कुठार बनके गोकुल को जा रहे हैं यशोदा का प्यार बनके..... 

मनमोहन उदक न जाये, राधिका धीरे से झुलाय दियो पालना हो माँ

मनमोहन उदक न जाये राधिका धीरे से झुलाय दियो पालना हो माँ मइया धीरे से झुलाय दियो पालना हो माँ मइया काहे के पलना बने हो माँ मइया काहे की लागी रस डोर.... राधिका.... मइया चन्दन के पलना बने हो माँ मइया रेशम लागी रस डोर.... राधिका.... मइया को जो पलना झूलिहैं हो माँ मइया को जो खींचे रस डोर.... राधिका.... मइया देवी पलना झूलिहैं हो माँ मइया लांगुर खींचे रस डोर.... राधिका.... मइया कैसे के पलना टूटिहैं हो माँ मइया कैसे के टूटे रस डोर.... राधिका.... मइया झूलत पलना टूटिहैं हो माँ मइया खींचत टूटे रस डोर.... राधिका.... मइया धीरे से झुलाय दियो पालना हो माँ

नन्द के लाल तुम्हे राम की दुहाई है

नन्द के लाल तुम्हे राम की दुहाई है - २ काहे की मटकी बनी, कौन ने बनाई है कौन सा लाल जिसने फोड़ के दिखाई है नन्द के लाल...... माटी की मटकी बनी कुम्हार ने बनाई है कृष्ण सा लाल जिसने फोड़ के दिखाई है नन्द के लाल...... काहे की वंशी बनी कौन ने बनाई है कौन सा लाल जिसने बजा के दिखाई है नन्द के लाल...... बांस की वंशी बनी सुतार ने बनाई है कृष्ण सा लाल जिसने बजा के दिखाई है नन्द के लाल...... काहे की नथनी बनी कौन ने बनाई है कौन सी नारी जिसने पहन के दिखाई है नन्द के लाल...... सोने की नथनी बनी सुनार ने बनाई है राधा सी नारी जिसने पहन के दिखाई है नन्द के लाल......

हमें छेड़ो न मोहन डगरिया में

हमें छेड़ो न मोहन डगरिया में - २ दही खाय जइयो काल दुपहरिया में।  कैसे मैं आऊं घर में तुम्हारे कैसे हैं ताले , कैसे किमारे कैसे मैं आऊं नगरिया में - २ दही खाय जइयो काल दुपहरिया में...... गांव भरे से ऊंची हवेली नीम को गुल्ला द्वारे लगो री तोता टंगो है पिंजरिया में दही खाय जइयो काल दुपहरिया में...... पुरा भरे के चले जात हारे सब के घरन में लटक रहे ताले सूनो तो मिलहे नगरिया में - २ दही खाय जइयो काल दुपहरिया में...... जो सासु पूंछे दहिया कहाँ गओ हम कह देबी बिलैया ने खाय लओ तालो लगो न किमरिया में - २ दही खाय जइयो काल दुपहरिया में...... Video के लिए कृपया नीचे दिए गए मेरे Youtube Channel की लिंक में क्लिक करें और Subscribe करें- https://www.youtube.com/channel/UCmXMH5vIfHTWbh2sHqmxoUw/?sub_confirmatiom=1

हटको यशोदा मइया अपने लाल को

हटको यशोदा मइया अपने लाल को मुझको किया बेहाल, है कितना ढीठ तेरो नन्दलाल। जब मैं गयी थी पनिया भरन को कान्हा गया था वंशी बजाने को मटकी फोड़ी बहियाँ मरोड़ी अखियाँ दिखावे पीली लाल। है कितना ढीठ तेरो नन्दलाल........ जब मैं गयी थी जमुना नहाने को कान्हा गया था गउएँ चराने को सब सखियों के चीर उठा कर चढ़े कदम की डाल है कितना ढीठ तेरो नन्दलाल........ जब मैं गयी थी पूजा करन को कान्हा गया था रास रचाने को सब सखियों के हाँथ पकड़ कर कहता कि मेरे गले में डालो जयमाल है कितना ढीठ तेरो नन्दलाल........ Video के लिए कृपया नीचे दिए गए मेरे Youtube Channel की लिंक में क्लिक करें और Subscribe करें- https://www.youtube.com/channel/UCmXMH5vIfHTWbh2sHqmxoUw/?sub_confirmatiom=1

मैं बुलाऊँ तो कैसे बुलाऊँ

मैं बुलाऊँ तो कैसे बुलाऊँ तुम बुलाने के काबिल नहीं हो तुम तो करते हो मोहन शरारत प्यार करने के काबिल नहीं हो। तुमने फोड़ी थी एक रोज मटकी बस यही बात दिल में अटकी ऐसे छलिये से... हाँ ... ऐसे छलिये से मैं क्या मैं डरती।  प्यार करने के काबिल नहीं हो। तुमने फाड़ी थी एक रोज साड़ी उसमे रह गई  न एकउ किनारी ऐसे छलिये से... हाँ ... ऐसे छलिये से मैं क्या मैं डरती।  प्यार करने के काबिल नहीं हो। तुमने गोकुल में दहिया चुराया वृन्दावन में रहस्य को रचाया ऐसे छलिये से... हाँ ... ऐसे छलिये से मैं क्या मैं डरती।  प्यार करने के काबिल नहीं हो। Video के लिए कृपया नीचे दिए गए मेरे Youtube Channel की लिंक में क्लिक करें और Subscribe करें- https://www.youtube.com/channel/UCmXMH5vIfHTWbh2sHqmxoUw/?sub_confirmatiom=1