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Showing posts from October, 2018

मइया के मंदिर मैं आ गई घरवालों की चोरी से

मइया के मंदिर मैं आ गई घरवालों की चोरी से दरवाजे तो बंद पड़े थे निकल के आयी मोरी से बेंदी तो मेरे घरे रखी थी टीका लाई चोरी से अपनी माँ को खूब सजाया जय-जय जय-जय हो री से कुण्डल तो मेरे घरे रखे थे नथनी लाई चोरी से अपनी माँ को खूब सजाया जय-जय जय-जय हो री से कंगन तो मेरे घरे रखे थे चूड़ी लाई चोरी से अपनी माँ को खूब सजाया जय-जय जय-जय हो री से साड़ी तो मेरे घरे रखी थी लहंगा लाई चोरी से अपनी माँ को खूब सजाया जय-जय जय-जय हो री से पायल तो मेरे घरे रखी थी बिछिया लाई चोरी से अपनी माँ को खूब सजाया जय-जय जय-जय हो री से 

लक्ष्मी के पति देव स्वामी , क्षीरसागर में सोते मिलेंगे

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लक्ष्मी के पति देव स्वामी क्षीरसागर में सोते मिलेंगे - २ कोई तालों में जाकर के देखे वो तो कपड़े धुलाते मिलेंगे - २ क्षीरसागर में सोते मिलेंगे....  कोई कुओं में जाकर के देखे वो तो कलशे भराते मिलेंगे - २ क्षीरसागर में सोते मिलेंगे....  कोई बागों में जाकर के देखे वो तो गजला गुहाते मिलेंगे - २ क्षीरसागर में सोते मिलेंगे....  कोई महलों में जाकर के देखे वो तो सेजा सजाते मिलेंगे - २ क्षीरसागर में सोते मिलेंगे.... कोई मंदिर में जाकर के देखे वो तो दर्शन दिलाते मिलेंगे - २ क्षीरसागर में सोते मिलेंगे....  

सीता माता के हम लाल, लवकुश है नाम हमारा

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सीता माता के हम लाल लवकुश है नाम हमारा.... हम बाल्मीकि के पाले जंगल के रहने वाले हमको पिता की नहीं है याद लवकुश है नाम हमारा.... हम लड़ने से नहीं डरते हम मरने से नहीं डरते चाहे आगे आ जाय काल लवकुश है नाम हमारा.... 

हे प्रिये मम घड़े को उठा दो, मम उठाने के काबिल नहीं है

हे प्रिये मम घड़े को उठा दो मम उठाने के काबिल नहीं है नहीं है, मम उठाने के काबिल नहीं है सात दिन से अन्न नहीं खाया पानी पी-पी के जीवन बिताया मम उठाने के काबिल नहीं है नहीं है, मम उठाने के काबिल नहीं है मैं हूँ ब्रह्मा शिवजी की नौकरानी आप भरते हो भंगी का पानी सत डिगाने के काबिल नहीं है नहीं है, मम उठाने के काबिल नहीं है.... मरा लाल रोहित जो तारा जाके पनघट में लूँगी सहारा चीर साड़ी का साड़ी से फाड़ा सत डिगाने के काबिल नहीं है नहीं है, मम उठाने के काबिल नहीं है....

मइया नीमा लाछारे ले रहीं हो माँ

मइया नीमा लाछारे ले रहीं हो माँ मइया लै खप्पर आगे भई हो माँ मइया के खप्पर भरत हुंकारी देत ललकारी, देवी के दल भारी हो मइया नीमा लाछारे ले रहीं हो माँ मइया लै नरियल आगे भई हो माँ मइया के नरियल भरत हुंकारी देत ललकारी, देवी के दल भारी हो मइया नीमा लाछारे ले रहीं हो माँ मइया लै नीबू आगे भई हो माँ मइया के नीबू भरत हुंकारी देत ललकारी, देवी के दल भारी हो मइया नीमा लाछारे ले रहीं हो माँ मइया लै हूमा आगे भई हो माँ मइया के हूमा भरत हुंकारी देत ललकारी, देवी के दल भारी हो मइया नीमा लाछारे ले रहीं हो माँ

पीले सिंहों पे सवार मइया ओढ़े चुनरी

पीले सिंहों पे सवार मइया ओढ़े चुनरी ओढ़े चुनरी ओ मइया ओढ़े चुनरी .... वैष्णो देवी जाकर देखा बड़ी जोर का मेला मंदिर अंदर जाकर देखा चढ़े नारियल गोला उनका रूप है सलोना मइया ओढ़े चुनरी .... शारदा माई जाकर देखा बड़ी जोर का मेला मंदिर अंदर जाकर देखा चढ़े नारियल गोला उनका रूप है सलोना मइया ओढ़े चुनरी .... काली माई जाकर देखा बड़ी जोर का मेला मंदिर अंदर जाकर देखा चढ़े नारियल गोला उनका रूप है सलोना मइया ओढ़े चुनरी .... पूर्णागिरी जाकर देखा बड़ी जोर का मेला मंदिर अंदर जाकर देखा चढ़े नारियल गोला उनका रूप है सलोना मइया ओढ़े चुनरी ....

भगवान तुम्हें मैं खत लिखती, पर पता मुझे मालूम नहीं

भगवान तुम्हें मैं खत लिखती, पर पता मुझे मालूम नहीं तालों में देखा एक बार धोबी से पूंछा बार-बार पत्थर में छिपे हैं मनमोहन पर पता मुझे मालूम नहीं ..... कुओं में देखा एक बार कहरा से पूंछा बार-बार कलशों में छिपे हैं मनमोहन पर पता मुझे मालूम नहीं ..... बागों में देखा एक बार माली से पूंछा बार-बार फूलों में छिपे हैं मनमोहन पर पता मुझे मालूम नहीं ..... महलों में देखा एक बार राजा से पूंछा बार-बार खिड़की में छिपे हैं मनमोहन पर पता मुझे मालूम नहीं ..... मंदिर में देखा एक बार भक्तों से पूंछा बार-बार ह्रदय में छिपे हैं मनमोहन पर पता मुझे मालूम नहीं .....

तुम्हारे दरश को मइया सब दल उमहे, मढ़िया के खोलो किमार हो माँ

तुम्हारे दरश को मइया सब दल उमहे मढ़िया के खोलो किमार हो माँ, मइया मढ़िया के खोलो किमार हो माँ कै दल उमहे मइया ब्राह्मण बनिया, कै दल उमहे कलार हो माँ, मइया ...... दस दल उमहे मइया ब्राह्मण बनिया, नौ दल उमहे कलार हो माँ, मइया ...... काहा चढ़ावे मइया ब्राह्मण बनिया, काहा चढ़ावे कलार हो माँ, मइया ...... ध्वजा नारियल मइया ब्राह्मण बनिया, मद की धार कलार हो माँ, मइया ...... काहा माँगे मइया ब्राह्मण बनिया, काहा माँगे कलार हो माँ, मइया ...... धन-दौलत माँगे मइया ब्राह्मण बनिया, पूता माँगे कलार हो माँ, मइया ......

कब से खड़ी हूँ दुअरिया, खोल दे किवड़िया मइया खोल दे

कब से खड़ी हूँ दुअरिया खोल दे किवड़िया मइया खोल दे .... बड़ी दूर से आयी मइया मैं रोली ले आयी खोल किवड़िया अंदर आऊं अपनी माँ को चढ़ाऊँ बिखरो जाय रे सिंदुरवा खोल दे किवड़िया मइया खोल दे .... बड़ी दूर से आयी मइया मैं चुनरी ले आयी खोल किवड़िया अंदर आऊं अपनी माँ को उढ़ाऊँ  उड़ी जाय रे चुनरिया  खोल दे किवड़िया मइया खोल दे .... बड़ी दूर से आयी मइया मैं हरला ले आयी खोल किवड़िया अंदर आऊं अपनी माँ को पहनाऊँ  टूटो जाय रे हरलवा  खोल दे किवड़िया मइया खोल दे ....  बड़ी दूर से आयी मइया मैं हलवा ले आयी खोल किवड़िया अंदर आऊं अपनी माँ को खिलाऊँ   बिखरो जाय रे हलवा खोल दे किवड़िया मइया खोल दे ....