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Showing posts with the label Maa Prarthna

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है

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हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है। हर एक जन इसका परवाना, हर एक जान इसका पुजारी है।। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... जब कुछ भी न था इस धरती पर, तेरी ज्योति का नूर निराला था। न सूरज, चंदा, तारे थे, तेरी ज्योति का ही उजाला था। कैसी होगी तेरी ज्योति, जब सूरज एक चिंगारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... जिस घर में ज्योति जलती है, वह घर पावन हो जाता है। ज्योति से ज्योति मिल जाती, वह जग में अमर हो जाता है। यह ज्योति जीवन देती है, यह ज्योति पालनहारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... धरती का सीना चीर के माँ, पाताल लोक से आई है। इसकी लीला का अंत नहीं, कण-कण में यही समय है। निर्बल को शक्ति देती है, यह शक्ति अतुल तुम्हारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ......

जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी

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जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव जी।। माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको।।  जय अम्बे ..... कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे। रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजे।।  जय अम्बे ..... केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी। सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।  जय अम्बे ..... कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती।।  जय अम्बे ..... शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर-घाती। धूम्रविलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।  जय अम्बे ..... चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ मारे , सुर भयहीन करे।।  जय अम्बे ..... ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी।।  जय अम्बे ..... चौंसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ। बाजत ताल मृदंगा, औ बाजत डमरू।।  जय अम्बे ..... तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुःख हरता , सुख सम्पति करता।।  जय अम्बे ..... भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी।।...

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली

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अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली तेरे ही गुण गायें भारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती तेरे भक्तजनों पर मइया भीड़ पड़ी है भारी दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंहसवारी सौ-सौ सिंहों से तू बलशाली अष्ट भुजाओं वाली दुष्टों को तू ही लरकारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती नहीं मांगते धन और दौलत न चांदी और सोना हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा कोना सबकी बिगड़ी बनाने वाली कष्ट मिटाने वाली दुखियों को दुःख से निवारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती माँ बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता पूत कपूत सुने हैं पर न माता सुनी कुमाता सब पर करुणा दर्शाने वाली अमृत बरसाने वाली सतियों के सत को सवांरती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती चरण शरण में खड़े तुम्हारे ले पूजा की थाली वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली माँ भरदो भक्ति रस प्याली अष्ट भुजाओं वाली भक्तों के कारज तू ही सवांरती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती घड़ा पाप का भर गया माँ पहला अत्याचार आत्मा से आज माँ धरती करे पुकार बैल चढ़े शिवशंकर आये गरुण चढ़े भगवान सिंह सवारी मइया आयीं हो रही जय-जयकार ओ मइया हम सब उता...

आपको पुकारें हम बार-बार माँ

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आपको पुकारें हम बार-बार माँ शीघ्र चली आना होके सिंह पे सवार माँ लाल चुनरिया मइया लाल-लाल चोला लाल फूलों के सोहे गले में हार माँ।  शीघ्र चली आना .... भवँर बीच है नइया हमारी कर दो दया अब मइया हमारी तेरा सहारा हमको - २ तेरा ही आधार माँ।  शीघ्र चली आना ....  Video के लिए कृपया नीचे दिए गए मेरे Youtube Channel की लिंक में क्लिक करें और Subscribe करें- https://www.youtube.com/channel/UCmXMH5vIfHTWbh2sHqmxoUw/?sub_confirmatiom=1

हे सिंहवाहिनी जगदम्बे

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हे सिंहवाहिनी जगदम्बे , तेरा ही एक सहारा है। मेरी विपदाएं दूर करो और कृपा दृष्टि इस ओर करो संकट के बीच घिरे हैं माँ आशा से तुम्हें पुकारा है।  हे सिंहवाहिनी जगदम्बे ... कुमकुम अक्षत और पुष्पों से नैवैद्य धूप और अर्चन से नित तुम्हें रिझाया करते हैं क्यों अब तक नहीं उबारा है।  हे सिंहवाहिनी जगदम्बे ... भव बाधायें हरने वाली जन-जन की बाधा हरती हो मेरी भी बाधाएँ  हरना जगजननी काम तुम्हारा है।  हे सिंहवाहिनी जगदम्बे ... कौमारी सरस्वती तुम हो वैषणवी तुम्हीं ब्रह्माणी हो कर शंख चक्र और पदम् लिए लक्ष्मी भी रूप तुम्हारा है।  हे सिंहवाहिनी जगदम्बे ... जब-जब मानव पर कष्ट पड़ा तब-तब तुमने औतार लिया हे कल्याणी हे ब्रह्माणी इन्द्राणी रूप तुम्हारा है।  हे सिंहवाहिनी जगदम्बे ... था शुम्भ निशुम्भ असुर मारा और रक्तबीज का रक्त पिया हे सिद्धवदी हे गौरी माँ काली भी रूप तुम्हारा है।  हे सिंहवाहिनी जगदम्बे ... दुर्लोचन को तुमने मारा महिषासुर तुमने संहारा हे सिंहवाहिनी अष्टभुजी नवदुर्गे रूप तुम्हारा है।  हे सिंहवाहिनी जगदम्बे ... जब वैश्...