हे कन्हैया बेवफ़ा तूने कदर जानी नहीं


हे कन्हैया बेवफ़ा तूने कदर जानी नहीं
मैं तेरी दीवानी जनम से आज भी तेरी दीवानी हूँ ....

एक तो मेरे दिल में आये श्याम से जाकर मिलूँ
बिन पैर बिन पंख के मुझसे उड़ा जाता नहीं
मैं तेरी दीवानी जनम से आज भी तेरी दीवानी हूँ ....

एक तो मेरे दिल में आये श्याम को खत ही लिखूं
बिन कलम, स्याही, दवायत मुझसे लिखा जाता नहीं
मैं तेरी दीवानी जनम से आज भी तेरी दीवानी हूँ ....

एक तो मेरे दिल में आये श्याम से जाकर लड़ूँ
बिन खता बिन बात के मुझसे लड़ा जाता नहीं
मैं तेरी दीवानी जनम से आज भी तेरी दीवानी हूँ ....

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