गूथंन बैठी हार सुलोचन नारी है, आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है

गूथंन बैठी हार सुलोचन नारी है
आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है

जयमाल बनी अति सुन्दर
नहीं मुख से जात बखानी
मैं डालू गले में उसके
जो आये जीत रण भारी
जीत रण भारी है, आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है .....

जब कड़क से चूड़ी कड़की
जब आँख दाहनी फड़की
जब सर से सरकी सारी
मन में हुआ संशय भारी
कि संशय भारी है, आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है .....

जब कटी भुजायें आयीं
तब सती देख उदघायीं
धड़ पड़ा है लंक में सारा
शीश जहाँ राम अवतारी हैं
जहाँ राम अवतारी हैं, आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है ..... 

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