प्रभु जी आप चले वनवास, अकेली घर मैं रह जाऊँगी

प्रभु जी आप चले वनवास
अकेली घर मैं रह जाऊँगी - २

भोर होत तालों में जाऊँ
निर्मल जल भर लाऊँ
कि प्रभु जी आप करो स्नान
मैं धीरे-धीरे जल बरसाऊँगी ...

भोर होत बागों में जाऊँ
सुन्दर फूल ले आऊँ
कि प्रभु जी आप करो पूजा-पाठ
मैं धीरे-धीरे फूल चढ़ाऊँगी ...

भोर होत रसोई-घर जाऊँ
सुन्दर भोज पकाऊँ
कि प्रभु जी आप करो जल-पान
मैं धीरे-धीरे बिजनी डुलाऊँगी ...

साँझ होत सेज-घर जाऊँ
सुन्दर सेज सजाऊँ
कि प्रभु जी आप करो विश्राम
 मैं धीरे-धीरे चरण दबाऊँगी ... 

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