छोड़ आश्रम चली तू पति घर

छोड़ आश्रम चली तू पति घर
प्यारी बेटी मुझे न रुलाना - २

मैंने पाला था आँखों का तारा
सूनी कुटिया में करके गुजारा

मैं अभागा पिता हूँ तेरा
जो की घर से विदा दे रहा हूँ
बेटी ये बात मन में न लाना
प्यारी बेटी मुझे न रुलाना - २

संग सखियाँ खड़ी रो रही हैं
रो-रो के विदा दे रही हैं
बेटी इन सब को धीरज बंधाना
प्यारी बेटी मुझे न रुलाना - २

तू बनेगी महलों की रानी
तुझे मिलेगा सम्राट राजा
सेवा करना सास-ससुर की
सेवा करके धर्म तू निभाना
प्यारी बेटी मुझे न रुलाना - २

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