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सब देवों ने फूल बरसाये, महाराज गजानन आये

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सब देवों ने फूल बरसाये, महाराज गजानन आये प्रभु कौन तुम्हारी माता है , तुम किनके लाल कहाये, महाराज गजानन आये..... प्रभु पार्वती मेरी माता है, शिवशंकर के लाल कहाये, महाराज गजानन आये..... प्रभु कौन तुम्हारी पूजा है, तुम किनके भोग लगाये, महाराज गजानन आये..... प्रभु होम-धूप मेरी पूजा है, मोदक के भोग लगाये, महाराज गजानन आये..... प्रभु कौन तुम्हारी सवारी है, तुम किनके चक्र लगाये, महाराज गजानन आये..... प्रभु मूसक मेरी तुम्हारी सवारी है, पृथ्वी के चक्र लगाये, महाराज गजानन आये..... Please 👉watch 👉subscribe 👉share 👉like & comment my YouTube channel https://youtube.com/shorts/80EC5m1ZQn4?si=d5m-W8Ru9ptSpTOy

हनुमत तुम्हारे सहारे मैंने आज, सागर में नइया छोड़ दई

हनुमत तुम्हारे सहारे मैंने आज, सागर में नइया छोड़ दई काहे की तेरी नाव बनी है, काहे की पतवार ऐजी काहे की लागी जंजीर, सागर में नइया छोड़ दई..... चन्दन की मेरी नाव बनी है, चाँदी की पतवार, ऐजी सोने की लागी जंजीर, सागर में नइया छोड़ दई..... कौन हैं उसमे बैठन वाले, कौन हैं खेवनहार ऐजी कौन लगइहैं बेड़ा पार , सागर में नइया छोड़ दई..... रामजी उसमे बैठन वाले, लक्ष्मण खेवनहार हनुमत भइया लगइहैं बेड़ा पार , सागर में नइया छोड़ दई.....   

गजला गुह ले री मालिनिया, तेरे घर आ रहे राजकुमार

गजला गुह ले री मालिनिया, तेरे घर आ रहे राजकुमार - २ कै फूलों का गजला गुह लूँ , कै फूलों का हार कै फूलों की करूँ आरती होवें जय-जयकार नौ फूलों का गजला गुह, सात फूलों का हार पाँच फूलों की करूँ आरती होवें जय-जयकार किनके गले में गजला डालूँ, किनके डालूँ हार किनकी मैं तो करूँ आरती होवें जय-जयकार राम गले में गजला डालूँ, लक्ष्मण डालूँ हार सीता जी की करूँ आरती होवें जय-जयकार

गजानन देवा मनाऊँ कैसे-कैसे

गजानन देवा मनाऊँ कैसे-कैसे छोटा-सा मस्तक तुम्हारा गजानन शिवालय का चन्दन लगाऊँ कैसे-कैसे .... कर्ण तुम्हारे बड़े हैं गजानन शिवालय के कुण्डल पहनाऊँ कैसे-कैसे .... उदर तुम्हारा बड़ा है गजानन शिवालय का मोदक खिलाऊँ कैसे-कैसे .... चरण तुम्हारे हैं छोटे गजानन शिवालय के नूपुर पहनाऊँ कैसे-कैसे ....

प्रभु जी आप चले वनवास, अकेली घर मैं रह जाऊँगी

प्रभु जी आप चले वनवास अकेली घर मैं रह जाऊँगी - २ भोर होत तालों में जाऊँ निर्मल जल भर लाऊँ कि प्रभु जी आप करो स्नान मैं धीरे-धीरे जल बरसाऊँगी ... भोर होत बागों में जाऊँ सुन्दर फूल ले आऊँ कि प्रभु जी आप करो पूजा-पाठ मैं धीरे-धीरे फूल चढ़ाऊँगी ... भोर होत रसोई-घर जाऊँ सुन्दर भोज पकाऊँ कि प्रभु जी आप करो जल-पान मैं धीरे-धीरे बिजनी डुलाऊँगी ... साँझ होत सेज-घर जाऊँ सुन्दर सेज सजाऊँ कि प्रभु जी आप करो विश्राम  मैं धीरे-धीरे चरण दबाऊँगी ... 

ठुमक-ठुमक चली अइयो, हमारे अँगना अम्बे मइया

ठुमक-ठुमक चली अइयो, हमारे अँगना अम्बे मइया गलियन-गलियन  फूल बिछे हैं - २ छम-छम कर चली अइयो हमारे अँगना अम्बे मइया..... गलियन-गलियन  झूला डले हैं - २ झूला झूलत चली अइयो हमारे अँगना अम्बे मइया..... नव दिन की मइया झाँकी सजी है - २ सोलह श्रृंगार कर अइयो हमारे अँगना अम्बे मइया.....

काले-काले नाग वाला काले जटों वाला है

काले-काले नाग वाला काले जटों वाला है भूत-प्रेत संग लिए दूल्हा बना आता है नारद के वचनों से आय गयी वर मइया मैं तो गयी डर...... देखो जैसा दूल्हा है वैसे ही बाराती हैं कोई बिन पैरा - बिन पैरों के संगाती हैं काले नाग लपेटे देखो वो ही विषधर मइया मैं तो गयी डर...... दूल्हा देख मैना मारी है गुहारी शादी नहीं करूँ चाहे रहे गौरा कुंवारी उमा की किस्मत में लिखा यही वर मइया मैं तो गयी डर......

मनमोहन उदक न जाये, राधिका धीरे से झुलाय दियो पालना हो माँ

मनमोहन उदक न जाये राधिका धीरे से झुलाय दियो पालना हो माँ मइया धीरे से झुलाय दियो पालना हो माँ मइया काहे के पलना बने हो माँ मइया काहे की लागी रस डोर.... राधिका.... मइया चन्दन के पलना बने हो माँ मइया रेशम लागी रस डोर.... राधिका.... मइया को जो पलना झूलिहैं हो माँ मइया को जो खींचे रस डोर.... राधिका.... मइया देवी पलना झूलिहैं हो माँ मइया लांगुर खींचे रस डोर.... राधिका.... मइया कैसे के पलना टूटिहैं हो माँ मइया कैसे के टूटे रस डोर.... राधिका.... मइया झूलत पलना टूटिहैं हो माँ मइया खींचत टूटे रस डोर.... राधिका.... मइया धीरे से झुलाय दियो पालना हो माँ

गूथंन बैठी हार सुलोचन नारी है, आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है

गूथंन बैठी हार सुलोचन नारी है आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है जयमाल बनी अति सुन्दर नहीं मुख से जात बखानी मैं डालू गले में उसके जो आये जीत रण भारी जीत रण भारी है, आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है ..... जब कड़क से चूड़ी कड़की जब आँख दाहनी फड़की जब सर से सरकी सारी मन में हुआ संशय भारी कि संशय भारी है, आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है ..... जब कटी भुजायें आयीं तब सती देख उदघायीं धड़ पड़ा है लंक में सारा शीश जहाँ राम अवतारी हैं जहाँ राम अवतारी हैं, आज मेरे पति आयें जीत रण भारी है ..... 

धन्य-धन्य भाग्य जटायी, जो लिए गोद रघुराई

धन्य-धन्य भाग्य जटायी, जो लिए गोद रघुराई जब दशा गीद की देखत हैं करुणा कर पंकज फेरत हैं द्रग से जलधार बहाई जो लिए गोद रघुराई ..... घावों में बालू अधिक भरी प्रभु छोड़ जटा निज बाँह धरी तन की सब धूरि झराई जो लिए गोद रघुराई ..... जग जीवन देने को कहते हैं पर गीदराज नहीं हां कहते सुर लोक देव पहुंचाई जो लिए गोद रघुराई ..... करुणा कर करुणा कीन्ही  है बहु भांति नाथ सुध लीन्ही है सिय की निज खबर भुलाई जो लिए गोद रघुराई .....  पितृ तुल्य क्रिया कर कीन्ही  है बहु भांति नाथ सुध लीन्ही है निज लोक दिया पहुंचाई  जो लिए गोद रघुराई .....