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दूल्हा बन भोला आये हैं

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दूल्हा बन भोला आये हैं  नए नए बाराती लाये हैं  शीश भोले के सेहरा नहीं है  वो तो गंगा लपेटे आये हैं  माथे भोले के कलगी नहीं है  वो तो चंदा छमकाये आये हैं  गले भोले के हार नहीं है  वो तो नाग लपेटे आये हैं  हाथ भोले के कंकन नहीं है  वो तो बिच्छू लपेटे आये हैं  तन में भोले के वस्त्र नहीं है  वो तो भस्म लपेटे आये हैं  संग भोले के बाजा नहीं है  वो तो डमरू बजातेआये हैं   

आना पवनकुमार हमारे हरी कीर्तन में।

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आना पवनकुमार हमारे हरी कीर्तन में।  आना पवनकुमार हमारे हरी कीर्तन में।। आप भी आना संग राम जी को लाना।  सीता को संग ले आना  हमारे हरी कीर्तन में।। आप भी आना संग श्याम को लाना।  राधा को संग ले आना  हमारे हरी कीर्तन में।। आप भी आना संग विष्णु को लाना।  लक्ष्मी को संग ले आना  हमारे हरी कीर्तन में।। आप भी आना संग भोले को लाना।  गौरा को संग ले आना  हमारे हरी कीर्तन में।। आप भी आना संग ब्रह्मा  लाना।  सरस्वती संग ले आना  हमारे हरी कीर्तन में।।

आरती श्री हनुमान जी की / Aarti Shri Hanuman Ji Ki

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आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की || जाके बल से गिरिवर कांपे | रोग दोष जाके  निकट न झांके ||  अंजनि पुत्र महाबलदायी | संतन के प्रभु सदा सहाई ||  दे बीरा रघुनाथ पठाए | लंका जारि सिया सुध लाए ||  लंका सो कोट समुद्र सी खाई | जात पवनसुत बार न लाई ||  लंका जारि असुर संहारे | सियारामजी के काज संवारे ||  लक्ष्मण मूर्छित पड़े सकरे | आनि संजीवन प्राण उबारे ||  पैठि पाताल तोरि जमकारे | अहिरावण की भुजा उखाड़े ||  बाएं भुजा असुर दल मारे |  दाहिने भुजा संतजन तारे ||  सुर-नर-मुनि जन आरती उतारे | जय जय जय हनुमान उचारे ||  कंचन थार कपूर लौ छाई | आरती करत अंजना माई ||  लंक विध्वंस कीन्हि रघुराई | तुलसीदास प्रभु कीरति गाई ||  जो हनुमान जी की आरती गावै | बसि बैकुंठ परमपद पावै ||  आरती कीजै हनुमान लला की | दुष्ट दलन रघुनाथ कला की ||

श्री शनिदेव आरती

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श्री शनिदेव आरती  जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी |   सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी || जय.||  श्याम अंक वक्र दृष्ट  चतुर्भुजा धारी |  नीलाम्बर धार नाथ गज की असवारी || जय.|| क्रीट मुकुट शीश रजित दिपत है लिलारी |  मुक्तन की माला गले शोभित बलिहारी || जय.||  मोदक मिष्ठान पान चढ़त है सुपारी |  लोहा तिल तेल उड़द महिषी अति प्यारी || जय.||  देव दनुज ऋषि मुनि सुमरिन नर नारी |  विश्वनाथ धारण ध्यान शरण हैं तुम्हारी || जय.|| जय जय श्री शनिदेव भक्तन हितकारी |   सूरज के पुत्र प्रभु छाया महतारी || जय.|| 

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा

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श्री गणेश आरती  जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा | माता जिनकी पार्वती पिता महादेवा || जय. ||  फूल चढ़े पान चढ़े और चढे मेवा |  लड्डून के भोग लगे संत करे सेवा || जय. || एकदंत दयामंत चार भुजा धारी |  मस्तक सिंदूर सोहै मूस की सवारी || जय. || अंधन को आँख देत निर्धन को माया |  बांझन को पुत्र देत कोढ़न को काया || जय. || दीनन की लाज रखो शम्भु सुतवारी |  कामना को पूरा करो जाऊं बलिहारी || जय. || जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा |  माता जिनकी पार्वती पिता महादेवा || जय. ||

तारा है सारा जमाना, श्याम हमको भी तारो

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तारा है सारा जमाना  श्याम हमको भी तारो  तुमने प्रभु जी कुब्जा को तारा  चन्दन का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो .....  तुमने प्रभु जी मीरा को तारा  वीणा का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो .....  तुमने प्रभु जी गोपियों को तारा  वंशी का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो .....  तुमने प्रभु जी अर्जुन को तारा  गीता का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो .....  तुमने प्रभु जी भक्तों को तारा  भक्ति का करके बहाना   श्याम हमको भी तारो ..... 

स्वागत गीत - करें श्रीमान तुम्हारा अभिनन्दन

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स्वागत गीत  करें श्रीमान तुम्हारा अभिनन्दन  शिशु नादान तुम्हारा अभिनन्दन . . . . . सेवा-स्वागत, रीत न जाने,  भाव न जाने प्रीत न जाने  हम तो केवल इतना जाने  कि हो मेहमान तुम्हारा अभिनन्दन।  शिशु . . . . .  सुलभ न समुचित, सुख सुआसन  सेवा और स्वागत के साधन  दर्शन से हम हो गए पावन  हे क्षमा के निधान तुम्हारा अभिनन्दन।  शिशु . . . . . अन्धकार अन्तर में काला  नेह नज़र से करो उजाला  अर्पित है फूलों की माला   हे मेरे मेहमान तुम्हारा अभिनन्दन।  शिशु . . . . .

जय देव जय देव / जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता

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जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता जय देव जय देव अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी विघ्न विनाशन मंगल मूरत अधिकारी कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी जय जय जय जय जय जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता जय देव जय देव भावभगत से कोई शरणागत आवे संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता जय देव जय देव

जय देव जय देव / सुखकर्ता दुखहर्ता

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जय देव जय देव,  जय मंगल मूर्ति, श्री मंगल मूर्ति  दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति जय देव जय देव सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची कंठी झलके माल मुकताफळांची। जय देव जय देव . . . रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा चंदनाची उटी कुमकुम केशरा हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया। जय देव जय देव . . . लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना दास रामाचा वाट पाहे सदना संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना। जय देव जय देव . . .. शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को। जय देव जय देव . . .

बृहस्पतिदेव आरती

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जय बृहस्पति देवा, स्वामी जय बृहस्पति देवा।  छिन छिन भोग लगाऊ कदली फल मेवा।।  ॐ जय बृहस्पति देवा। तुम पूरण परमात्मा, तुम अंतर्यामी।  जगत पिता जगदीश्वर तुम सबके स्वामी।। ॐ जय बृहस्पति देवा। चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता।  सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता।। ॐ जय बृहस्पति देवा। तन, मन, धन अर्पणकर जो जन शरण पड़े।  प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े।। ॐ जय बृहस्पति देवा। दीन दयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी।  पाप दोष सब हर्ता, भव बंधन हारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा। सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारी।  विषय विकार मिटाओ संतन सुखकारी।। ॐ जय बृहस्पति देवा। जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे।  स्वामी भाव सहित गावे।  कहत शिवानंद स्वामी सुख-संपत्ति पावे ।। ॐ जय बृहस्पति देवा।

बृहस्पति व्रत कथा / गुरुवार व्रत कथा

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बृहस्पति व्रत कथा / गुरुवार व्रत कथा विधि सूर्योदय से पहले उठकर स्नान से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। शुद्ध जल छिड़ककर पूरा घर पवित्र करें। घर के ही किसी पवित्र स्थान पर बृहस्पतिवार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। तत्पश्चात पीत वर्ण के गंध-पुष्प और अक्षत से विधिविधान से पूजन करें। इसके बाद निम्न मंत्र से प्रार्थना करें- धर्मशास्तार्थतत्वज्ञ ज्ञानविज्ञानपारग। विविधार्तिहराचिन्त्य देवाचार्य नमोऽस्तु ते॥ तत्पश्चात आरती कर व्रतकथा सुनें। इस दिन एक समय ही भोजन किया जाता है। व्रत करने वाले को भोजन में चने की दाल अवश्य खानी चाहिए। बृहस्पतिवार के व्रत में कंदलीफल (केले) के वृक्ष की पूजा की जाती है। बृहस्पति व्रत कथा / गुरुवार व्रत कथा एक समय की बात है, भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था। वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य पूजा पाठ करता, भगवन दर्शन करने मंदिर जाता और गरीबों की सहायता किया करता था। वह प्रतिदिन मंदिर में भगवाऩ दर्शन करने जाता था, परंतु यह बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी । वह न ही गरीबों को दान देती थी आॏर न ही कभी भगवान का पूजन करती थी और राजा को भी ऐसा ...

अजब हैरान हूँ भगवन, तुम्हें कैसे रिझाऊँ मैं

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अजब हैरान हूँ भगवन, तुम्हें कैसे रिझाऊँ मैं कोई वस्तु नहीं ऐसी, जिसे सेवा में लाऊँ मैं करू किस तरह आवाहन, कि तुम मौजूद हर जगह निरादर है बुलाने में, अगर घंटी बजाऊं मैं ..... तुम्हीं मौजूद सूरज में, तुम्हीं व्यापक हो फूलों में भला भगवान को भगवन, पर कैसे चढ़ाऊं मैं ..... लगाया भोग है तुमको, ये है एक अपमान करना खिलाता है जो शृष्टि को, उसे कैसे खिलाऊँ मैं ..... तेरी ज्योति से रोशन है, सूरज चाँद और तारे यहाँ अँधेरे हैं मुझको, अगर दीपक जलाऊं मैं ..... बड़े नादान हैं वो जन , जो तेरी सूरत बनाते हैं बनाता है जो जग को, उसे कैसे बनाऊं मैं ..... अजब हैरान हूँ भगवन, तुम्हें कैसे रिझाऊँ मैं कोई वस्तु नहीं ऐसी, जिसे सेवा में लाऊँ मैं ..... Please 👉watch 👉subscribe 👉share 👉like & comment my YouTube channel https://youtube.com/shorts/80EC5m1ZQn4?si=d5m-W8Ru9ptSpTOy

भगवान तुम्हारी दुनिया में, क्यों दिल ठुकराए जाते हैं

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भगवान तुम्हारी दुनिया में क्यों दिल ठुकराए जाते हैं क्यों चाहने वाले के अरमां मिट्टी में मिलाये जाते हैं होती है बुराई की पूजा तेरी इस अंधी दुनिया में हर एक इंशा आंसू की तरह नजरों से गिराए जाते हैं ऐ जीवन बगिया के मालिक तेरी बगिया की रीत है क्या जो फूल खिले सेहरे के लिए अर्थी में चढ़ाये जाते हैं तेरे बेदर्द ज़माने में लाखों के महल आशाओं के हर रोज बनाये जाते हैं हर रोज गिराए जाते हैं

दशा मुझ दीन की भगवन संभालोगे तो क्या होगा

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दशा मुझ दीन की भगवन संभालोगे तो क्या होगा अगर चरणों की सेवा लगा लोगे तो क्या होगा मैं नामी पातकी हूँ और नामी पापहर्ता तुम ये लज्जा दोनों नामों की बचा लोगे तो क्या होगा अगर चरणों की सेवा लगा लोगे तो क्या होगा यहाँ सब लोग कहते हैं तू मेरा है तू मेरा है मैं किसका हूँ यह झगड़ा  तुम मिटा दोगे तो क्या होगा अगर चरणों की सेवा लगा लोगे तो क्या होगा अजामिल, गिद्ध, गणिका जिस दया गंगा से तैरते हैं उसी में बिंदु सा पापी मिला लोगे तो क्या होगा अगर चरणों की सेवा लगा लोगे तो क्या होगा

चांदी का त्रिशूल कमण्डल सोने का

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चांदी का त्रिशूल कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरी जटा में गंगा सोहे मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरे माथे में चंदा सोहे मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरे गले में सर्प की माला मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरे तन में भस्म रमी है मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरे साथ में गौरा प्यारी मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का 

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है

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हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है। हर एक जन इसका परवाना, हर एक जान इसका पुजारी है।। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... जब कुछ भी न था इस धरती पर, तेरी ज्योति का नूर निराला था। न सूरज, चंदा, तारे थे, तेरी ज्योति का ही उजाला था। कैसी होगी तेरी ज्योति, जब सूरज एक चिंगारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... जिस घर में ज्योति जलती है, वह घर पावन हो जाता है। ज्योति से ज्योति मिल जाती, वह जग में अमर हो जाता है। यह ज्योति जीवन देती है, यह ज्योति पालनहारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... धरती का सीना चीर के माँ, पाताल लोक से आई है। इसकी लीला का अंत नहीं, कण-कण में यही समय है। निर्बल को शक्ति देती है, यह शक्ति अतुल तुम्हारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ......

जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी

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जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव जी।। माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको।।  जय अम्बे ..... कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे। रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजे।।  जय अम्बे ..... केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी। सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।  जय अम्बे ..... कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती।।  जय अम्बे ..... शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर-घाती। धूम्रविलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।  जय अम्बे ..... चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ मारे , सुर भयहीन करे।।  जय अम्बे ..... ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी।।  जय अम्बे ..... चौंसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ। बाजत ताल मृदंगा, औ बाजत डमरू।।  जय अम्बे ..... तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुःख हरता , सुख सम्पति करता।।  जय अम्बे ..... भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी।।...

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली

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अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली तेरे ही गुण गायें भारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती तेरे भक्तजनों पर मइया भीड़ पड़ी है भारी दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंहसवारी सौ-सौ सिंहों से तू बलशाली अष्ट भुजाओं वाली दुष्टों को तू ही लरकारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती नहीं मांगते धन और दौलत न चांदी और सोना हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा कोना सबकी बिगड़ी बनाने वाली कष्ट मिटाने वाली दुखियों को दुःख से निवारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती माँ बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता पूत कपूत सुने हैं पर न माता सुनी कुमाता सब पर करुणा दर्शाने वाली अमृत बरसाने वाली सतियों के सत को सवांरती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती चरण शरण में खड़े तुम्हारे ले पूजा की थाली वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली माँ भरदो भक्ति रस प्याली अष्ट भुजाओं वाली भक्तों के कारज तू ही सवांरती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती घड़ा पाप का भर गया माँ पहला अत्याचार आत्मा से आज माँ धरती करे पुकार बैल चढ़े शिवशंकर आये गरुण चढ़े भगवान सिंह सवारी मइया आयीं हो रही जय-जयकार ओ मइया हम सब उता...

दुश्मन का दिल घबराये रे, जहाँ भारत डट जाये

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दुश्मन का दिल घबराये रे, जहाँ भारत डट जाये ये भारत प्यारा भारत है, ये भारत प्यारा भारत है रहा न माँ के आगे किसी का भी अरमान चाहे हो अमरीका, चाहे पाकिस्तान हर दुश्मन माफ़ी मांगे, भारत माता के आगे हिन्द का नाम निराला अहा कभी न मिटने वाला जो भी टकराया हुआ उसका मुँह काला ये भारत प्यारा भारत है ........ हम भारत माँ के बेटे हैं सैनिक वीर जवान हम हँसते-हँसते माँ पर दे देंगे अपनी जान कौन करे गति-मंद हमें, गंगा की सौगंध हमें शत्रु से टकरायेंगे अहा तिरंगा लहरायेंगे आन पर भारत माँ की वीर भी मिट जायेंगे ये भारत प्यारा भारत है ........ कौन छीन सकता है भारत माँ की जागीर हम जान तो दे सकते हैं पर न देंगे कश्मीर बने माता के पुजारी अहा कभी न हिम्मत हारी भीम बलवान जैसे यहाँ योद्धा बलशाली ये भारत प्यारा भारत है ........ || जय हिन्द जय भारत || 

मेरे मालिक मुझे तूने सब कुछ दिया है, तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है

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मेरे मालिक मुझे तूने सब कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है न मिलती अगर दी हुई दात तेरी तो क्या थी ज़माने में औकात मेरी ये बन्दा तो तेरे सहारे जिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरी बन्दगी से मैं बन्दा हूँ मालिक तेरे ही करम से मैं जिन्दा हूँ मालिक तुम्हीं ने तो जीने के क़ाबिल किया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है मेरा ही नहीं तू सभी का है दाता सभी को सभी कुछ है देता दिलाता जो खाली था दामन तूने भर दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है ये जायदाद दी है ये औलाद दी है मुसीबत के हर वक्त इमदाद दी है तेरा ही दिया मैंने खाया-पिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है करुणामय ने करुणा करी इतनी मुझमें यकीन ही नहीं आज होता है खुद में कि तूफ़ान में भी जलाया दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है || जय माता दी ||