जय देव जय देव / जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता



जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

अष्ट सिधि दासी संकट को बैरी
विघ्न विनाशन मंगल मूरत अधिकारी
कोटि सूरज प्रकाश ऐसे छबी तेरी
गंडस्थल मद्मस्तक झूल शशि बहरी

जय जय जय जय जय
जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

भावभगत से कोई शरणागत आवे
संतति संपत्ति सबही भरपूर पावे
ऐसे तुम महाराज मोको अति भावे
गोसावीनंदन निशिदिन गुण गावे

जय जय जी गणराज विद्यासुखदाता
धन्य तुम्हारो दर्शन मेरा मत रमता
जय देव जय देव

Comments

Popular posts from this blog

सब देवों ने फूल बरसाये, महाराज गजानन आये

हे सिंहवाहिनी जगदम्बे

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है

पीले सिंहों पे सवार मइया ओढ़े चुनरी

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली