जय देव जय देव / सुखकर्ता दुखहर्ता


जय देव जय देव, 
जय मंगल मूर्ति, श्री मंगल मूर्ति 
दर्शनमात्रे मनःकामना पूर्ति
जय देव जय देव

सुखकर्ता दुखहर्ता, वार्ता विघ्नाची
नूर्वी पूर्वी प्रेम कृपा जयाची
सर्वांगी सुन्दर उटी शेंदु राची
कंठी झलके माल मुकताफळांची। जय देव जय देव . . .

रत्नखचित फरा तुझ गौरीकुमरा
चंदनाची उटी कुमकुम केशरा
हीरे जडित मुकुट शोभतो बरा
रुन्झुनती नूपुरे चरनी घागरिया। जय देव जय देव . . .

लम्बोदर पीताम्बर फनिवर वंदना
सरल सोंड वक्रतुंडा त्रिनयना
दास रामाचा वाट पाहे सदना
संकटी पावावे निर्वाणी रक्षावे सुरवर वंदना। जय देव जय देव . . ..

शेंदुर लाल चढायो अच्छा गजमुख को
दोन्दिल लाल बिराजे सूत गौरिहर को
हाथ लिए गुड लड्डू साई सुरवर को
महिमा कहे ना जाय लागत हूँ पद को। जय देव जय देव . . .

Comments

Post a Comment

Popular posts from this blog

सब देवों ने फूल बरसाये, महाराज गजानन आये

हे सिंहवाहिनी जगदम्बे

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है

पीले सिंहों पे सवार मइया ओढ़े चुनरी

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली