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बृहस्पति व्रत कथा / गुरुवार व्रत कथा

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बृहस्पति व्रत कथा / गुरुवार व्रत कथा विधि सूर्योदय से पहले उठकर स्नान से निवृत्त होकर पीले रंग के वस्त्र पहनने चाहिए। शुद्ध जल छिड़ककर पूरा घर पवित्र करें। घर के ही किसी पवित्र स्थान पर बृहस्पतिवार की मूर्ति या चित्र स्थापित करें। तत्पश्चात पीत वर्ण के गंध-पुष्प और अक्षत से विधिविधान से पूजन करें। इसके बाद निम्न मंत्र से प्रार्थना करें- धर्मशास्तार्थतत्वज्ञ ज्ञानविज्ञानपारग। विविधार्तिहराचिन्त्य देवाचार्य नमोऽस्तु ते॥ तत्पश्चात आरती कर व्रतकथा सुनें। इस दिन एक समय ही भोजन किया जाता है। व्रत करने वाले को भोजन में चने की दाल अवश्य खानी चाहिए। बृहस्पतिवार के व्रत में कंदलीफल (केले) के वृक्ष की पूजा की जाती है। बृहस्पति व्रत कथा / गुरुवार व्रत कथा एक समय की बात है, भारतवर्ष में एक राजा राज्य करता था। वह बड़ा प्रतापी और दानी था। वह नित्य पूजा पाठ करता, भगवन दर्शन करने मंदिर जाता और गरीबों की सहायता किया करता था। वह प्रतिदिन मंदिर में भगवाऩ दर्शन करने जाता था, परंतु यह बात उसकी रानी को अच्छी नहीं लगती थी । वह न ही गरीबों को दान देती थी आॏर न ही कभी भगवान का पूजन करती थी और राजा को भी ऐसा ...

अजब हैरान हूँ भगवन, तुम्हें कैसे रिझाऊँ मैं

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अजब हैरान हूँ भगवन, तुम्हें कैसे रिझाऊँ मैं कोई वस्तु नहीं ऐसी, जिसे सेवा में लाऊँ मैं करू किस तरह आवाहन, कि तुम मौजूद हर जगह निरादर है बुलाने में, अगर घंटी बजाऊं मैं ..... तुम्हीं मौजूद सूरज में, तुम्हीं व्यापक हो फूलों में भला भगवान को भगवन, पर कैसे चढ़ाऊं मैं ..... लगाया भोग है तुमको, ये है एक अपमान करना खिलाता है जो शृष्टि को, उसे कैसे खिलाऊँ मैं ..... तेरी ज्योति से रोशन है, सूरज चाँद और तारे यहाँ अँधेरे हैं मुझको, अगर दीपक जलाऊं मैं ..... बड़े नादान हैं वो जन , जो तेरी सूरत बनाते हैं बनाता है जो जग को, उसे कैसे बनाऊं मैं ..... अजब हैरान हूँ भगवन, तुम्हें कैसे रिझाऊँ मैं कोई वस्तु नहीं ऐसी, जिसे सेवा में लाऊँ मैं ..... Please 👉watch 👉subscribe 👉share 👉like & comment my YouTube channel https://youtube.com/shorts/80EC5m1ZQn4?si=d5m-W8Ru9ptSpTOy

भगवान तुम्हारी दुनिया में, क्यों दिल ठुकराए जाते हैं

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भगवान तुम्हारी दुनिया में क्यों दिल ठुकराए जाते हैं क्यों चाहने वाले के अरमां मिट्टी में मिलाये जाते हैं होती है बुराई की पूजा तेरी इस अंधी दुनिया में हर एक इंशा आंसू की तरह नजरों से गिराए जाते हैं ऐ जीवन बगिया के मालिक तेरी बगिया की रीत है क्या जो फूल खिले सेहरे के लिए अर्थी में चढ़ाये जाते हैं तेरे बेदर्द ज़माने में लाखों के महल आशाओं के हर रोज बनाये जाते हैं हर रोज गिराए जाते हैं

दशा मुझ दीन की भगवन संभालोगे तो क्या होगा

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दशा मुझ दीन की भगवन संभालोगे तो क्या होगा अगर चरणों की सेवा लगा लोगे तो क्या होगा मैं नामी पातकी हूँ और नामी पापहर्ता तुम ये लज्जा दोनों नामों की बचा लोगे तो क्या होगा अगर चरणों की सेवा लगा लोगे तो क्या होगा यहाँ सब लोग कहते हैं तू मेरा है तू मेरा है मैं किसका हूँ यह झगड़ा  तुम मिटा दोगे तो क्या होगा अगर चरणों की सेवा लगा लोगे तो क्या होगा अजामिल, गिद्ध, गणिका जिस दया गंगा से तैरते हैं उसी में बिंदु सा पापी मिला लोगे तो क्या होगा अगर चरणों की सेवा लगा लोगे तो क्या होगा

चांदी का त्रिशूल कमण्डल सोने का

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चांदी का त्रिशूल कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरी जटा में गंगा सोहे मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरे माथे में चंदा सोहे मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरे गले में सर्प की माला मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरे तन में भस्म रमी है मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का मैं जब-जब तुझको देखू तेरे साथ में गौरा प्यारी मैं पूजा करुँ तुम्हारी - हो - तुम्हारी जाऊं मैं बलिहारी कमण्डल सोने का रूप सुहाना जाय शंकर भोले का 

हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है

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हे ज्योति रूप ज्वाला माँ, तेरी ज्योति सबसे न्यारी है। हर एक जन इसका परवाना, हर एक जान इसका पुजारी है।। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... जब कुछ भी न था इस धरती पर, तेरी ज्योति का नूर निराला था। न सूरज, चंदा, तारे थे, तेरी ज्योति का ही उजाला था। कैसी होगी तेरी ज्योति, जब सूरज एक चिंगारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... जिस घर में ज्योति जलती है, वह घर पावन हो जाता है। ज्योति से ज्योति मिल जाती, वह जग में अमर हो जाता है। यह ज्योति जीवन देती है, यह ज्योति पालनहारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ...... धरती का सीना चीर के माँ, पाताल लोक से आई है। इसकी लीला का अंत नहीं, कण-कण में यही समय है। निर्बल को शक्ति देती है, यह शक्ति अतुल तुम्हारी है। जय माँ शेरावाली जय माँ ज्योतावाली ......

जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी

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जय अम्बे गौरी, मइया जय श्यामा गौरी। तुमको निशदिन ध्यावत, हरि ब्रह्मा शिव जी।। माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृगमद को। उज्जवल से दोउ नैना, चन्द्रवदन नीको।।  जय अम्बे ..... कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर राजे। रक्त पुष्प गल माला, कण्ठन पर साजे।।  जय अम्बे ..... केहरि वाहन राजत, खड्ग खप्पर धारी। सुर-नर-मुनि-जन सेवत, तिनके दुखहारी।।  जय अम्बे ..... कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती। कोटिक चंद्र दिवाकर, सम राजत ज्योती।।  जय अम्बे ..... शुम्भ निशुम्भ विदारे, महिषासुर-घाती। धूम्रविलोचन नैना, निशदिन मदमाती।।  जय अम्बे ..... चण्ड मुण्ड संहारे, शोणित बीज हरे। मधु कैटभ दोउ मारे , सुर भयहीन करे।।  जय अम्बे ..... ब्रह्माणी, रुद्राणी, तुम कमला रानी। आगम-निगम-बखानी, तुम शिव पटरानी।।  जय अम्बे ..... चौंसठ योगिनि गावत, नृत्य करत भैरूँ। बाजत ताल मृदंगा, औ बाजत डमरू।।  जय अम्बे ..... तुम ही जग की माता, तुम ही हो भरता। भक्तन की दुःख हरता , सुख सम्पति करता।।  जय अम्बे ..... भुजा चार अति शोभित, वर-मुद्रा धारी। मनवांछित फल पावत, सेवत नर-नारी।।...

अम्बे तू है जगदम्बे काली, जय दुर्गे खप्पर वाली

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अम्बे तू है जगदम्बे काली जय दुर्गे खप्पर वाली तेरे ही गुण गायें भारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती तेरे भक्तजनों पर मइया भीड़ पड़ी है भारी दानव दल पर टूट पड़ो माँ करके सिंहसवारी सौ-सौ सिंहों से तू बलशाली अष्ट भुजाओं वाली दुष्टों को तू ही लरकारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती नहीं मांगते धन और दौलत न चांदी और सोना हम तो मांगे माँ तेरे मन में एक छोटा कोना सबकी बिगड़ी बनाने वाली कष्ट मिटाने वाली दुखियों को दुःख से निवारती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती माँ बेटे का है इस जग में बड़ा ही निर्मल नाता पूत कपूत सुने हैं पर न माता सुनी कुमाता सब पर करुणा दर्शाने वाली अमृत बरसाने वाली सतियों के सत को सवांरती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती चरण शरण में खड़े तुम्हारे ले पूजा की थाली वरद हस्त सर पर रख दो माँ संकट हरने वाली माँ भरदो भक्ति रस प्याली अष्ट भुजाओं वाली भक्तों के कारज तू ही सवांरती ओ मइया हम सब उतारे तेरी आरती घड़ा पाप का भर गया माँ पहला अत्याचार आत्मा से आज माँ धरती करे पुकार बैल चढ़े शिवशंकर आये गरुण चढ़े भगवान सिंह सवारी मइया आयीं हो रही जय-जयकार ओ मइया हम सब उता...

दुश्मन का दिल घबराये रे, जहाँ भारत डट जाये

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दुश्मन का दिल घबराये रे, जहाँ भारत डट जाये ये भारत प्यारा भारत है, ये भारत प्यारा भारत है रहा न माँ के आगे किसी का भी अरमान चाहे हो अमरीका, चाहे पाकिस्तान हर दुश्मन माफ़ी मांगे, भारत माता के आगे हिन्द का नाम निराला अहा कभी न मिटने वाला जो भी टकराया हुआ उसका मुँह काला ये भारत प्यारा भारत है ........ हम भारत माँ के बेटे हैं सैनिक वीर जवान हम हँसते-हँसते माँ पर दे देंगे अपनी जान कौन करे गति-मंद हमें, गंगा की सौगंध हमें शत्रु से टकरायेंगे अहा तिरंगा लहरायेंगे आन पर भारत माँ की वीर भी मिट जायेंगे ये भारत प्यारा भारत है ........ कौन छीन सकता है भारत माँ की जागीर हम जान तो दे सकते हैं पर न देंगे कश्मीर बने माता के पुजारी अहा कभी न हिम्मत हारी भीम बलवान जैसे यहाँ योद्धा बलशाली ये भारत प्यारा भारत है ........ || जय हिन्द जय भारत || 

मेरे मालिक मुझे तूने सब कुछ दिया है, तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है

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मेरे मालिक मुझे तूने सब कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है न मिलती अगर दी हुई दात तेरी तो क्या थी ज़माने में औकात मेरी ये बन्दा तो तेरे सहारे जिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरी बन्दगी से मैं बन्दा हूँ मालिक तेरे ही करम से मैं जिन्दा हूँ मालिक तुम्हीं ने तो जीने के क़ाबिल किया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है मेरा ही नहीं तू सभी का है दाता सभी को सभी कुछ है देता दिलाता जो खाली था दामन तूने भर दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है ये जायदाद दी है ये औलाद दी है मुसीबत के हर वक्त इमदाद दी है तेरा ही दिया मैंने खाया-पिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है करुणामय ने करुणा करी इतनी मुझमें यकीन ही नहीं आज होता है खुद में कि तूफ़ान में भी जलाया दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है || जय माता दी ||